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हूं इतना वीर की पापड़ भी तोड़ सकता हूं
जो गुस्सा आये तो कागज मरोड़ सकता हूं
अपनी टांगो से जो जोर लगाया मैंने
बस एक लात में पिल्ले को रुलाया मैंने
मेरी हिम्मत का नमूना कि जब भी चाहता हूं
रुस्तम ऐ हिंद को सपने में पीट आता हूं
एक बार गधे ने जो मुझको उकसाया
उसके हिस्से की घास छीनकर मैं खा आया
अपनी ताकत के झंडे यूं मैंने गाड़े हैं
मरे चूहों के सर के बाल भी उखाड़े हैं
जब अपनी जान हथेली पे मैं लेता हूं
हर आतंकी की निंदा मैं कर देता हूं
- भारतीय नेता
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